श्री रघुवीर भक्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥ निशिदिन ध्यान धरै जो कोई। ता सम भक्त और नहिं होई॥ध्यान धरे शिवजी मन माहीं। ब्रह्म इन्द्र पार नहिं पाहीं॥दूत तुम्हार वीर हनुमाना। जासु प्रभाव तिहूं पुर जाना॥
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